अप्रत्याशित बारिश की कमी से खेती संकट में
देवघर के किसानों को इस बार फिर से निराशा का सामना करना पड़ रहा है। अपेक्षित बारिश न होने के कारण कृषि की स्थिति गंभीर बनी हुई है। जबकि अजय-पतरो नदी और अजय बराज सिकटिया से निकलने वाली नहरों के किनारे और बड़े तालाबों के आसपास 30-40 प्रतिशत खेतों में धान की रोपाई हो चुकी है, शेष खेत अभी भी सूने पड़े हैं। इस कारण किसान भारी निराशा में हैं।
तीसरे साल भी बदहाल स्थिति
सारठ प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले दो-तीन वर्षों की तरह इस साल भी खेती की स्थिति चिंताजनक है। किसानों ने पंप सेट लगाकर किसी तरह खेती जारी रखने का प्रयास किया है, लेकिन धान रोपाई का समय लगभग समाप्त हो चुका है। इसके बावजूद, किसान अब भी भारी बारिश की उम्मीद में हैं।
मवेशियों की चारे की चिंता
किसानों का मानना है कि अगर इस सीजन में कुल मिलाकर 20% खेती हो भी जाए, तो भी मवेशियों के लिए चारा जुटाना मुश्किल होगा। हालांकि, परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिए धान की पर्याप्त पैदावार नहीं हो सकेगी। दुधीचुआं गांव के किसानों का कहना है कि पंप सेट से खेतों में पानी भंडारण करने में कठिनाइयाँ बढ़ गई हैं। हालांकि, भारी बारिश हो जाए तो 20% तक खेती हो सकती है, लेकिन इसका समय तेजी से बीत रहा है।
सरकारी आंकड़ों में 40% खेती का दावा
सारठ प्रखंड के तकनीकी प्रबंधक शशांक शेखर के अनुसार, हाल की बारिश से प्रखंड में 40% धान रोपाई हो चुकी है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार प्रखंड में धान की खेती के लिए 6500 हेक्टेयर भूमि है, लेकिन वास्तविकता में किसान 20% खेती भी पूरी होने को भाग्यशाली मान रहे हैं। मकई और दलहन की खेती भी कुछ हिस्सों में की जा रही है, लेकिन समग्र स्थिति में सुधार की संभावना कम नजर आ रही है।
संकट का समाधान और आगे की राह
किसानों को उम्मीद है कि सरकार और संबंधित विभाग उनकी समस्याओं का समाधान निकालेंगे। यह आवश्यक है कि किसानों को राहत देने के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि आने वाले समय में खेती की स्थिति में सुधार हो सके।