ब्रेकिंग न्यूज: झारखंड पुलिस भर्ती में हृदयाघात की आशंका
झारखंड में पुलिस भर्ती के दौरान 10 किमी की दौड़ के दौरान 12 नौजवानों की मौत ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इन मौतों का कारण क्या है—क्या दौड़ की चुनौती थी या कोई अन्य तत्व जिम्मेदार है? इस घटनाक्रम के बारे में अब एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है।
स्टेरॉयड का उपयोग और इसके खतरनाक परिणाम
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, भर्ती के लिए दौड़ की तैयारी करते समय नौजवानों के बीच स्टेरॉयड का उपयोग बढ़ गया है। स्टेरॉयड की खपत से स्टेमिना तो बढ़ जाता है, लेकिन इससे हृदय और फेफड़ों का समन्वय बिगड़ सकता है। इस असंतुलन के कारण मल्टीऑर्गन फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है, जो कुछ मामलों में मौत का कारण बन सकता है। चूंकि पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भर्ती में डोप टेस्ट नहीं होते, इसलिए स्टेरॉयड के प्रभाव का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
कोऑर्डिनेशन का महत्व: हार्ट और फेफड़ों के बीच संतुलन
फोर्टिस हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार, दौड़ के दौरान अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, हृदय को अधिक ऑक्सीजन चाहिए होता है। यदि फेफड़े ऑक्सीजन की आपूर्ति पूरी नहीं कर पाते, तो थकावट महसूस होती है। स्टेरॉयड का सेवन थकावट को छुपा सकता है, लेकिन इससे हृदय पर दबाव पड़ता है और हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है।
आर्थिक स्थिति और उसकी भूमिका
वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इन मौतों के पीछे आर्थिक हालत भी एक कारण हो सकता है। भर्ती के दिन अभ्यर्थी अपने सेंटर पर पहुँचने के बाद आमतौर पर फुटपाथ या खुले स्थानों पर सोते हैं और सही भोजन की कमी होती है। इसके परिणामस्वरूप थकावट और डिहाइड्रेशन हो सकते हैं, जो दौड़ के दौरान गश खाकर गिरने का कारण बन सकते हैं। यदि समय पर इलाज नहीं मिलता, तो यह जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
इन मौतों ने सवाल उठाए हैं कि क्या भर्ती प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता है ताकि अभ्यर्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।