झारखंड राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से 1.38 लाख करोड़ का कोयला बकाया चुकाने के लिए कानूनी करवाई की प्रकिया शुरू कर दिया हैं।
शपथ ग्रहण के बाद हेमंत सोरेन ने पिछले माह कहा था कि वह केंद्र सरकार से कोयला बकाया वसूलने कि प्रकिया शुरू कर देंगे। जिसके पश्चात सरकार ने राजस्व, पंजीकरण,और भूमि सुधार सचिव को अधिसूचना देते हुए करवाई शुरू करने का निर्देश दिया।
अधिसूचना में कथित तौर पर कहा गया है कि – धुले हुए कोयले की रॉयल्टी बकाया राशि के बदले कोल इंडिया की सहायक कंपनियों द्वारा भुगतान में बाधा उत्पन्न होने की स्थिति में महाधिवक्ता के परामर्श से इस समस्या को हल करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
झारखंड के मुख्यमंत्री ने 2 नवंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर झारखंड के 1.36 लाख करोड़ रुपए के कोयला बकाया को लेकर केंद्र सरकार और भाजपा सांसदों से मदद की गुहार लगाई। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री और गृह मंत्री झारखंड आ रहे हैं। मैं एक बार फिर उनसे हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि झारखंड का 1.36 लाख करोड़ रुपए का बकाया चुकाया जाए। यह राशि राज्य के विकास के लिए अत्यंत जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कोल इंडिया और अन्य केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के पास झारखंड का यह बकाया राशि राज्य का हक है। उनका दावा है कि यह राशि न मिलने से राज्य के विकास कार्यों को बड़ा नुकसान हो रहा है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की नौ-जजों की बेंच ने अपने फैसले में राज्य सरकारों को खनन और रॉयल्टी बकाया वसूलने का अधिकार दिया है। मुख्यमंत्री ने भाजपा के सांसदों से अपील की है कि वे इस मुद्दे पर झारखंड सरकार का साथ दें और राज्य के हक की राशि दिलाने में मदद करें।